मेरा चंदा

                                                                        मेरा चंदा मेरा चंदा
घुमे  पृथ्वी  के चारो  और
एक दिन  मैं  तार जैसा
दुसरे दिन मोटा ओर
हर दिन बड़ता जाय
एक दिन फिर ऐसा ऐया
मेरा चंदा खूब फैलया
आसमान मैं पूरा चमका
चारों और फलाई चांदनी
ये  दिन सबको याद है रहता
तबी ये चोदवी का चाँद  कहलाता
मेरा चंदा मेरा चंदा
आसमान मैं दिखता रोज़
मैं भी चमकूँ चंदा  जैसा
रोज़ रोज़ और हर रोज़

Comments

Prerna said…
Nice n cute poem, bachpan ki yaad aagayi :)

Regards,
Prerna

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